तेरी यादों का जख्म गहरा होता गया

 तेरी यादों का जख्म गहरा होता गया,

हम रोए भी नहीं और दर्द ठहरा होता गया।

हर रात दिल को समझाते रहे खुद ही,

मगर हर सुबह ये और बिखरा होता गया।




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